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Showing posts from June, 2021

राजस्थान के युवाओं को नशे में धकेलने की पाकिस्तानी कोशिश..पढ़े यह जानकारी..ब्लॉगर-अर्जुन चांदना

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 राजस्थान के युवाओं को नशे में धकेलने की पाकिस्तानी कोशिश..पढ़े यह जानकारी..ब्लॉगर-अर्जुन चांदना                                 Blog-----राजस्थान के युवा प्रगतिशील सोच और विकास की राजनीति में विश्वास करने वाले हैं। इसके बावजूद पिछले कुछ समय से पश्चिमी राजस्थान के युवा नशे की ओर अग्रसर हो रहे हैं, जो कि प्रदेश के भविष्य के लिए एक बहुत ही ख़तरनाक संकेत है। राजस्थान में सर्वाधिक हाडौती,मेवात, मारवाड़, व शहरी क्षेत्रों में युवाओ को नशे की लत ज्यादा है। आप में से कई लोग जानते होंगे कि किस तरह पंजाब में नशीले पदार्थों ने सम्पूर्ण रूप से प्रदेश को खोखला कर दिया है। हमें इसके पीछे हमारे पडोसी देश पाकिस्तान की नापाक साजिश को समझना होगा। पाकिस्तान जानता है कि यदि भारत के युवा नशे के जहर में मिल जाएंगे तो देश को अपना समय और अपनी काबिलियत और मेहनत से आगे नहीं ले जा पाएंगे।  राजस्थान की सीमा से लगे गाँवों के जरिये नशीले पदार्थों की तस्करी के द्वारा हमारे देश और खास तौर से उत्तर पश्चिमी क्षेत्र  राजस्थान को क...

पिता वारिया ते लाल चार वारे..एक ऐसा वीर योद्धा जिसने धर्म की खातिर पूरा वंश कुर्बान कर इतिहास बना दिया... जानिए कोन है?-

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 पिता वारिया ते लाल चार वारे..एक ऐसा वीर योद्धा जिसने धर्म की खातिर पूरा वंश कुर्बान कर इतिहास बना दिया... जानिए कोन है?-  ब्लॉग- इन पुत्रं के शीश पर वार दिए सूत चार, चार मुये तो क्या हुआ जीवित कई हजार...जी है यह पंक्तियां दशमेश पिता गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के लिए ठीक बैठती है। विश्व के एकमात्र ऐसे सिंह योद्धा जिनकी लड़ाई न राज्य की सीमा के लिए थी, न धन के लिए और न ही किसी अन्य लालसा के लिए था ... वो संघर्ष था तो मात्र धर्म की रक्षा हेतु धर्म की रक्षा के लिए आमरण युद्ध ... महाभारत था धर्म युद्ध और अर्जुन से बड़ा धनुर्धारी न पैदा हुआ। लेकिन पुत्र अभिमन्यु वध का समाचार मिलते ही दुःख और क्षोभ से गांडीव फ़िसल गया, पैर काँप गया, दूसरा दृष्टांत अर्जुन के गुरु द्रोण आचार्य अपने पुत्र अश्वत्थामा की मृत्यु के झूठे ख़बर मात्र से धनुष रख के रोने लगे और युद्ध बंद कर दिया .... पुत्र से बिछड़ने मात्र के संताप से देवासुर संग्राम के विजेता चक्रवर्ती सम्राट महाराज दशरथ भी गिर पड़े और फिर न उठे ...ऐसे में दशमेश गुरु गोविंद सिंह मात्र एक ऐसे देवतुल्य महापुरुष हुए, जिन्होंने अपने चार पुत्रों क...

जानिए चंपत राय कौन हैं,? जिसने अपना संपूर्ण जीवन राम मंदिर के लिए न्योछावर कर दिया

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 जानिए चंपत राय कौन हैं,? जिसने अपना संपूर्ण जीवन राम मंदिर के लिए  न्योछावर कर दिया..  ब्लॉग--- राम मंदिर के लिए जमीन को खरीदने के चलते इस समय चंपत राय सुर्खियों में बनी हुई वहीं आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने जमीन खरीद को लेकर हाल ही में बयान दिया! जिसको लेकर विश्व हिंदू परिषद के नेता चंपत राय ने स्पष्टीकरण दिया और श्रद्धालुओं को राजनीति से प्रेरित बयानों पर भरोसा नहीं करने के लिए कहा है! क्या आपको मालूम है राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने अपना पूरा जीवन इसी मंदिर के लिए संघर्ष करते हुए खपा दिया है? प्रभु श्री राम के मंदिर के निर्माण के लिए विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय का एक अहम किरदार हैं! मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बिजनौर स्थित है नगीना कस्बे के सरायमीर मोहल्ले के निवासी चंपत राय के पिता का नाम रामेश्वर प्रसाद बंसल और माताजी का नाम सावित्री देवी था! नवंबर 18 साल 1946 में जन्मे चंपत राय की उम्र 75 वर्ष से भी ज्यादा है उनके पिता भी अपने शुरुआती दिनों से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं! वहीं दूसरी और चंपत राय...

रूप बदल बदल कर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे वामपंथी..

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 रूप बदल बदल कर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे वामपंथी..  वामपंथ अर्थात कम्युनिष्ट(left)  दुनिया भर से समाप्ति के कगार पर है, और वर्तमान में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। भारत में कभी अपनी जड़ें जमा चुकी वामपंथी विचारधारा ने लोगों का विकास नहीं होने दिया और इसलिए 2014 में देश में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद से वामपंथी लगातार अपना रूप बदलकर देश विरोधी शक्तियों को बहकाने में लगे हुए हैं। शायद, इसलिए उनको आंदोलनजीवी का नाम दिया गया है। आंदोलनजीवी इसलिए क्योंकि एक आंदोलन में असफलता हाथ लगती है तो रूप बदलकर वे दूसरे आंदोलन में जुट जाते हैं। वामपंथ की विचारधारा में हिन्दुओं की चिंता करने वाले  संगठनों को ‘दक्षिणपंथी’ कहा जाता है। यहां की हिन्दू-चिंताएं अमेरिका या अफ़्रीका के मूल निवासियों की चिंताओं से अलग नहीं हैं। पश्चिमी सांस्कृतिक, व्यापारिक, धार्मिक दबावों के विरुद्ध हिन्दुओं का विरोध उसी तरह का है, जो अमेरिका में रेड-इंडियन या ऑस्ट्रेलिया में एबोरिजनल समुदायों का है। पश्चिमी देशों के वामपंथी अमेरिका और अफ़्रीका के मूल निवास...

27 वर्षीय William James अपने करोड़ो का व्यापार छोड़कर एक हिन्दू सन्यासी बन गये

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 27 वर्षीय William James अपने करोड़ो का व्यापार छोड़कर एक हिन्दू सन्यासी बन गये। Williams ने भगवद् गीता के कुछ श्लोक अनजाने में हीं इन्टरनेट पर पढ़े और उसके बाद वे हिंदुत्व के प्रति इतना आकर्षित हुए कि उन्होंने अपने करोड़ो का व्यापार त्याग दिया। और यहाँ हम भगवद् गीता का महत्व जानते हुए भी उसको नहीं पढ़ रहे हैं। अब भी समय है श्रीमदभगवदगीता को खुद भी पढ़ें और बच्चों को भी पढ़ाएं। विश्वास रखिये जीवन मे सब कुछ अच्छा होने लगेगा।भगवद् गीता मात्र श्लोकों का संग्रह नहीं, अपितु जीवन जीने की कला एवं उद्देश्य है। संपूर्ण ब्रम्हाण्ड का सार है यह।भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मा की तृप्ति का मार्ग दिया है। इससे अछूता इंसान नदी के किनारे बैठकर भी प्यासा रह जाने वाली कहावत को चरितार्थ करता है। ADV. ARJUN CHANDNA BLOGGER (दिनांक)Website- www.advarjunschandna.in Facebook Page- www.facebook.com/adv arjun chandna Follow me on Twitter- https://twitter.com/arjunSChandna1 Blog- arjunsinghchandna.blogspot.com To Contact- 9461788594 To Add in WhatsApp Group- 9462020994 Email- arjuns.jlwr99@gmail.com

तिलक लगाने की परंपरा भारतीय संस्कृति में अति प्राचीन है- अर्जुन चांदना

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 तिलक लगाने की परंपरा भारतीय संस्कृति में अति प्राचीन है। प्रारंभ से ही माना जाता है कि मस्तस्क पर तिलक लगाने से व्यक्ति का गौरव बढ़ता है। हिंदू संस्कृति में तिलक एक पहचान चिह्न का काम करता है। तिलक केवल धार्मिक मान्यता नहीं है बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। तिलक लगाने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है। मन इधर-उधर की फालतू बातों में नहीं भटकता है।    तिलक आवश्यक है -पूजा और भक्ति का एक प्रमुख अंग तिलक है। भारतीय संस्कृति में पूजा-अर्चना, संस्कार विधि, मंगल कार्य, यात्रा गमन, शुभ कार्यों के प्रारंभ में माथे पर तिलक लगाकर उसे अक्षत से विभूषित किया जाता है।उत्तर भारत में आज भी तिलक-आरती के साथ आदर सत्कार-स्वागत कर तिलक लगाया जाता है। तिलक मस्तक पर दोनों भौंहों के बीच नासिका के ऊपर प्रारंभिक स्थल पर लगाए जाते हैं जो हमारे चिंतन-मनन का स्थान है- यह चेतन-अवचेतन अवस्था में भी जागृत एवं सक्रिय रहता है, इसे आज्ञा-चक्र भी कहते हैं।इसी चक्र के एक ओर दाईं ओर अजिमा नाड़ी होती है तथा दूसरी ओर वर्णा नाड़ी है।इन दोनों के संगम बिंदु पर स्थित चक्र को निर्मल,विवेकशील, ऊर्जावान,...

राणा प्रताप संस्कृति के जीवन मूल्यो के आदर्श थे - होसबाले, प्रताप गौरव केंद्र राष्ट्रीय देशभक्ति का अनोखा प्रेरणा केन्द्र,महाराणा प्रताप जयन्ती समारोह का उद्घाटन, लघु फिल्म का भी लोकार्पण किया....अर्जुन चांदना

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 राणा प्रताप संस्कृति के जीवन मूल्यो के आदर्श थे - होसबाले, प्रताप गौरव केंद्र राष्ट्रीय देशभक्ति का अनोखा प्रेरणा केन्द्र,महाराणा प्रताप जयन्ती समारोह का उद्घाटन, लघु फिल्म का भी लोकार्पण किया उदयपुर-.. वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जयन्ती की पूर्व संध्या पर प्रताप गौरव केन्द्र- राष्ट्रीय तीर्थ उदयपुर (राजस्थान) द्वारा आयोजित नौ दिवसीय महाराणा प्रताप जयन्ती समारोह 2021 का ऑनलाइन उद्घाटन शनिवार को सायं 5 बजे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय जी होसबाले द्वारा किया गया। महाराणा प्रताप जयन्ती समारोह 2021( दिनांक 12 जून से 20 जून  तक) के उद्घाटन के प्रारंभ मे वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति उदयपुर द्वारा संचालित प्रताप गौरव केंद्र के निदेशक अनुराग जी सक्सेना ने समारोह के प्रारंभ मे अतिथियो का परिचय कराया तत्पश्चात वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति उदयपुर के महामंत्री परमेन्द्र जी दशोरा ने स्वागत उद्बोधन दिया।इस अवसर पर प्रताप गौरव केन्द्र राष्ट्रीय तीर्थ पर बनी लघु फिल्म का लोकार्पण भी दत्तात्रेय जी होसबाले द्वारा किया गया।तत्पश्चात रवि बोहरा एवं भगवत सिंह  द्वार...

काशी के कोतवाल - काल भैरव ... अर्जुन चांदना

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 काशी के कोतवाल - काल भैरव काशी में एक ऐसा भी थाना है जहां आज भी इस थाने का प्रभारी थाने की मुख्य कुर्सी पर बैठने की हिम्मत नहीं जुटा पता वो बैठा भी होता है तो अपने ऑफिस में कुर्सी के बगल में एक दूसरी कुर्सी लगाकर। दरअसल ये थाना है वाराणसी कोतवाली का जहां के इंचार्ज बाबा कालभैरव को कहा जाता हैं। यही नहीं आज तक इस थाने का निरीक्षण किसी डीएम या एसएसपी ने नहीं किया है क्योंकि वो तो खुद ही अपने ज्वाइनिंग से पहले यहां आशीर्वाद लेने आते हैं और जिसे बाबा चाहते हैं वो नगरी में कार्य करता है। तो आइए जाने क्या है इस मंदिर और इस थाने की अनसुनी कहानी।वाराणसी विशेश्वरगंज इलाके में शहर का कोतवाली थाना है और इसी थाने के ठीक पीछे बाबा कालभैरव का मंदिर है। वर्तमान प्रभारी राजेश सिंह ने बात करते हुए कहा कि ये परंपरा आज की नहीं है।ये परंपरा सालों से चली आ रही है, कोतवाली थाने के इस इंस्पेक्टर के ऑफिस में दो कुर्सियां लगाई गई हैं। जिसमे जो मेन चेयर है उसपर बाबा काल भैरव विराजमान होते हैं और इस थाने का इंस्पेक्टर बगल की कुर्सी पर बैठता है। यही नहीं राजेश सिंह ने कहा की इस थाना क्षेत्र में अपराध से लेकर...

गुमनामी के साये में भालता के पर्यटन स्थल, इतिहास के पन्नो में नही मिल रही शोभालता गांव को पहचान-अर्जुन चांदना

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 गुमनामी के साए में भालता के पर्यटन स्थल(कोटड़ा वीरान)  झालावाड़(राजस्थान)--  जिले में पर्यटन स्थलो की कोई कमी नही हें, कमी है तो इन तक पहुचने की,और इन्है पर्यटन के मानचित्रों में शामिल करने व पर्यटको के नजर में लाने की। बात करेगें जिले के भालता गांव के समीप कोटड़ा विरान एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल की। जो देश की आजादी के बाद से ही गुमनामी के साए में धीरे धीरे अपना आकर्षण खो रहा है।  इसी के पास ही दुर्लभ गुफाऐ हे। व बाबा करीम की दरगाह भी है। जहां सालाना उर्स लगता हे। जो दर्शनीय स्थल के रूप में आस्था का केंद्र बनी हुई है। लेकिन यहां की विषम परिस्थितियां इसमें रोड़ा बनती है। यहां तक पहुचने के लिए भले ही सुगम मार्ग नही होने के बावजूद भी कई पर्यटक विकट परिस्थितियों का सामना करते हुए रास्ता तलाशते खुद ही पगडण्डी से इस पर्यटन स्थलो तक पहुच जाते हें। बरसात के मोसम में यहां का मनोहारी दृश्य और भी छटा बिखेरता है।   (कोटड़ा मिनी जल दुर्ग कि विशेषता)   जिला मुख्यालय से लगभग 60 किमी दुर भालता गांव के समीप यह दुर्ग बना हुआ है। भालता से 4 किमी दुर यह स्थल स्थित हैं। यह ...