गुमनामी के साये में भालता के पर्यटन स्थल, इतिहास के पन्नो में नही मिल रही शोभालता गांव को पहचान-अर्जुन चांदना

 गुमनामी के साए में भालता के पर्यटन स्थल(कोटड़ा वीरान)

 झालावाड़(राजस्थान)--  जिले में पर्यटन स्थलो की कोई कमी नही हें, कमी है तो इन तक पहुचने की,और इन्है पर्यटन के मानचित्रों में शामिल करने व पर्यटको के नजर में लाने की। बात करेगें जिले के भालता गांव के समीप कोटड़ा विरान एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल की। जो देश की आजादी के बाद से ही गुमनामी के साए में धीरे धीरे अपना आकर्षण खो रहा है।  इसी के पास ही दुर्लभ गुफाऐ हे। व बाबा करीम की दरगाह भी है। जहां सालाना उर्स लगता हे। जो दर्शनीय स्थल के रूप में आस्था का केंद्र बनी हुई है। लेकिन यहां की विषम परिस्थितियां इसमें रोड़ा बनती है। यहां तक पहुचने के लिए भले ही सुगम मार्ग नही होने के बावजूद भी कई पर्यटक विकट परिस्थितियों का सामना करते हुए रास्ता तलाशते


खुद ही पगडण्डी से इस पर्यटन स्थलो तक पहुच जाते हें। बरसात के मोसम में यहां का मनोहारी दृश्य और भी छटा बिखेरता है। 

 (कोटड़ा मिनी जल दुर्ग कि विशेषता) 

 जिला मुख्यालय से लगभग 60 किमी दुर भालता गांव के समीप यह दुर्ग बना हुआ है। भालता से 4 किमी दुर यह स्थल स्थित हैं। यह दुर्ग पुराने समय मे व्यवसायिक नगरी कें नाम सें प्रसिद्ध था। हिन्दु व मुस्लिम सम्प्रदाय कें लोगों आज सें 500 वर्ष पुर्व यहा आबाद रहतें थें। यह छापी ओर डेंडी नदी कें संगम पर व विश्व धरोहर गागरोन किले की तर्ज पर बना हुआ है। लेंकिन अब इस धरोहर की दुर्दशा देखरेख के अभाव में  दिनो दिन बिगड़ती जा रही हैं। किलें कें अन्दर कई मुर्तिया, शिला लेंख, मंदिर, मस्जिद देंखने योंग्य हैं। इस वीरानी स्थल का नव निर्माण व जीर्णोद्धार होने पर क्षैत्र में पर्यटन को बढावा मिल सकता है।

   ( इतिहासकार का कहना है)  

स्थानीय इतिहासकार डाॅ.चंद्रमोहन शर्मा,व गोपाल गुर्जर के मुताबिक किला 7वी सें 12वी शताब्दी कें समय राजपुत काल कें बताए जा रहा है। करीब 8 वर्ष  पूर्व जयपुर की पुरातात्विक एजेंसी नें भी यहां मन्दिर का अवलोकन किया था।  भालता गांव आज से  500 साल पहलें यही बसा हुआ था। जिसे शोभालता के नाम से जाना जाता था। ओर इंटरनेट पर मानचित्र में भी भालता गांव कों यही दर्शाया जाता हैं। जानकारी अनुसार आज सें 50 वर्ष पूर्व किलें कें चारों ओंर सुन्दर परकोटा बना हुआ था। जो सुरक्षा कें अभाव में नष्ट हो चुका है। किले को देखनें बाहर सें भी सीमा वृति मध्यप्रदेश से भी पर्यटक आतें रहतें हैं। किलें कें पास ही दुर कुछ दुर्लभ गुफाए देखनें योग्य है। इसके विरान हो जानें सें इसे लोगो द्वारा कोटड़ा  विरान कि संज्ञा दी गई।.......

अर्जुन चांदना झालावाड़ 

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Comments

  1. बहुत सुंदर अर्जुन जी👌👍 स्थानीय स्तर पर इनके रख रखाव व सुरक्षा हेतु कुछ प्रयास करना चाहिए।

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