संविधान सभा की पहली बैठक के बाद ही देश 2 भागों में हुआ विभाजित..📝 ब्लॉग-.एडवोकेट अर्जुन सिंह चांदना।

संविधान सभा की पहली बैठक के बाद ही देश 2 भागों में हुआ विभाजित..
ब्लॉग-224..एडवोकेट अर्जुन सिंह चांदना।

ब्लॉग--- भारतीय संविधान सभा के लिए जुलाई 1946 में निर्वाचन हुए थे। संविधान सभा की पहली बैठक दिसम्बर 1946 को हुई थी। इसके तत्काल बाद देश दो भागों - भारत और पाकिस्तान में बँट गया था। संविधान सभा भी दो हिस्सो में बँट गई - भारत की संविधान सभा और पाकिस्तान की संविधान सभा।

भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य थे जिसके अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 में अपना काम पूरा कर लिया और 26 जनवरी 1950 को यह संविधान लागू हुआ। इसी दिन कि याद में हम हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। भारतीय संविधान को पूर्ण रूप से तैयार करने में 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन का समय लगा था।

भारतीय संविधान में वर्तमान समय में भी केवल 395 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियाँ हैं और ये 25 भागों में विभाजित है। परन्तु इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद जो 22 भागों में विभाजित थे इसमें केवल 8 अनुसूचियाँ थीं। संविधान में सरकार के संसदीय स्‍वरूप की व्‍यवस्‍था की गई है जिसकी संरचना कुछ अपवादों के अतिरिक्त संघीय है। केन्‍द्रीय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख राष्‍ट्रपति है। भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार, केन्‍द्रीय संसद की परिषद् में राष्‍ट्रपति तथा दो सदन है जिन्‍हें राज्‍यों की परिषद राज्‍यसभा तथा लोगों का सदन लोकसभा  के नाम से जाना जाता है। संविधान की धारा 74 (1) में यह व्‍यवस्‍था की गई है कि राष्‍ट्रपति की सहायता करने तथा उसे परामर्श देने के लिए एक रूप होगा जिसका प्रमुख प्रधानमन्त्री  होगा, राष्‍ट्रपति इस मन्त्रिपरिषद की सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्‍पादन करेगा। इस प्रकार वास्‍तविक कार्यकारी शक्ति मन्त्रिपरिषद में निहित है जिसका प्रमुख प्रधानमन्त्री है।मन्त्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोगों के सदन (लोक सभा) के प्रति उत्तरदायी है। प्रत्‍येक राज्‍य में एक विधानसभा है। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक,आन्ध्रप्रदेश  और तेलंगाना में एक ऊपरी सदन है जिसे विधानपरिषद कहा जाता है। राज्‍यपाल राज्‍य का प्रमुख है। प्रत्‍येक राज्‍य का एक राज्‍यपाल होगा तथा राज्‍य की कार्यकारी शक्ति उसमें निहित होगी। मन्त्रिपरिषद, जिसका प्रमुख मुख्‍यमन्त्री है, राज्‍यपाल को उसके कार्यकारी कार्यों के निष्‍पादन में सलाह देती है। राज्‍य की मन्त्रिपरिषद से राज्‍य की विधान सभा के प्रति उत्तरदायी है।

संविधान की सातवीं अनुसूची में संसद तथा राज्‍य विधायिकाओं के बीच विधायी शक्तियों का वितरण किया गया है। अवशिष्‍ट शक्तियाँ संसद में विहित हैं। केन्‍द्रीय प्रशासित भू-भागों को संघराज्‍य क्षेत्र कहा जाता है।

भारतीय संविधान के प्रस्तावना के अनुसार भारत एक सम्प्रुभतासम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य है।

सम्प्रभुता
सम्प्रभुता शब्द का अर्थ है सर्वोच्च या स्वतन्त्र होना। भारत किसी भी विदेशी और आन्तरिक शक्ति के नियन्त्रण से पूर्णतः मुक्त सम्प्रभुतासम्पन्न राष्ट्र है। यह सीधे लोगों द्वारा चुने गए एक मुक्त सरकार द्वारा शासित है तथा यही सरकार कानून बनाकर लोगों पर शासन करती है।

समाजवादी
मुख्य लेख: समाजवाद
समाजवादी शब्द संविधान के 1976 में हुए 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया। यह अपने सभी नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता सुनिश्चित करता है। जाति, रंग, नस्ल, लिंग, धर्म या भाषा के आधार पर कोई भेदभाव किए बिना सभी को बराबर का दर्जा और अवसर देता है। सरकार केवल कुछ लोगों के हाथों में धन जमा होने से रोकेगी तथा सभी नागरिकों को एक अच्छा जीवन स्तर प्रदान करने का प्रयत्न करेगी।

भारत ने एक मिश्रित फल का भाग है आर्थिक मॉडल को अपनाया है। सरकार ने समाजवाद के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई कानूनों जैसे अस्पृश्यता उन्मूलन, जमींदारी अधिनियम, समान वेतन अधिनियम और बाल श्रम निषेध अधिनियम आदि बनाया है।

पन्थनिरपेक्ष
मुख्य लेख: पन्थनिरपेक्षता
पन्थनिरपेक्ष शब्द संविधान के 1976 में हुए 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया। यह सभी पन्थों की समानता और पान्थिक सहिष्णुता सुनिश्चित करता है। भारत का कोई आधिकारिक पन्थ नहीं है। यह ना तो किसी पन्थ को बढ़ावा देता है, ना ही किसी से भेदभाव करता है। यह सभी पन्थों का सम्मान करता है व एक समान व्यवहार करता है। हर व्यक्ति को अपने पसन्द के किसी भी पन्थ का उपासना, पालन और प्रचार का अधिकार है। सभी नागरिकों, चाहे उनकी पान्थिक मान्यता कुछ भी हो कानून की दृष्टि में बराबर होते हैं। सरकारी या सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में कोई पान्थिक अनुदेश लागू नहीं होता।

लोकतान्त्रिक
मुख्य लेख: लोकतन्त्र
भारत एक स्वतन्त्र देश है, किसी भी स्थान से मत देने की स्वतन्त्रता, संसद में अनुसूचित सामाजिक समूहों और अनुसूचित जनजातियों को विशिष्ट सीटें आरक्षित की गई है। स्थानीय निकाय चुनाव में महिला उम्मीदवारों के लिए एक निश्चित अनुपात में सीटें आरक्षित की जाती है। सभी चुनावों में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का एक विधेयक लम्बित है। हालांकि इसकी क्रियान्वयन कैसे होगा, यह निश्चित नहीं हैं। भारत का निर्वाचन आयोग एक स्वतन्त्र संस्था है और यह स्वतन्त्र और निष्पक्ष निर्वाचन करने के लिए सदैव तत्पर है।

राजशाही, जिसमें राज्य के प्रमुख वंशानुगत आधार पर जीवनभर या पदत्याग करने तक के लिए नियुक्त किया जाता है, के विपरीत एक गणतान्त्रिक राष्ट्र का प्रमुख एक निश्चित अवधि के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित होता है। भारत के राष्ट्रपति पाँच वर्ष की अवधि के लिए एक चुनावी कॉलेज द्वारा चुने जाते हैं।

शक्ति विभाजन
यह भारतीय संविधान का सर्वाधिक महत्वपूर्ण लक्षण है, राज्य की शक्तियां केंद्रीय तथा राज्य सरकारों में विभाजित होती हैं। दोनों सत्ताएँ एक-दूसरे के अधीन नहीं होती है, वे संविधान से उत्पन्न तथा नियंत्रित होती हैं।

भारतीय संविधान के भाग
भारतीय संविधान 22 भागों में विभजित है तथा इसमे 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ हैं।

भाग विषय अनुच्छेद
भाग 1 संघ और उसके क्षेत्र (अनुच्छेद 1-4)
भाग 2 नागरिकता (अनुच्छेद 5-11)
भाग 3 मूलभूत अधिकार (अनुच्छेद 12 - 35)
भाग 4 राज्य के नीति निदेशक तत्त्व (अनुच्छेद 36 - 51)
भाग 4A मूल कर्तव्य (अनुच्छेद 51A)
भाग 5 संघ (अनुच्छेद 52-151)
भाग 6 राज्य (अनुच्छेद 152 -237)
भाग 7 संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम, 1956 द्वारा निरसित (अनु़चछेद 238)
भाग 8 संघ राज्य क्षेत्र (अनुच्छेद 239-242)
भाग 9 पंचायत (अनुच्छेद 243- 243O)
भाग 9A नगरपालिकाएँ (अनुच्छेद 243P - 243ZG)
भाग 10 अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र (अनुच्छेद 244 - 244A)
भाग 11 संघ और राज्यों के बीच सम्बन्ध (अनुच्छेद 245 - 263)
भाग 12 वित्त, सम्पत्ति, संविदाएँ और वाद (अनुच्छेद 264 -300A)
भाग 13 भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम (अनुच्छेद 301 - 307)
भाग 14 संघ और राज्यों के अधीन सेवाएँ (अनुच्छेद 308 -323)
भाग 14A अधिकरण (अनुच्छेद 323A - 323B)
भाग 15 निर्वाचन (अनुच्छेद 324 -329A)
भाग 16 कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबन्ध सम्बन्ध (अनुच्छेद 330- 342)
भाग 17 राजभाषा (अनुच्छेद 343- 351)
भाग 18 आपात उपबन्ध (अनुच्छेद 352 - 360)
भाग 19 प्रकीर्ण (अनुच्छेद 361 -367)
भाग 20 संविधान के संशोधन अनुच्छेद
भाग 21 अस्थाई संक्रमणकालीन और विशेष उपबन्ध (अनुच्छेद 369 - 392)
भाग 22 संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ, हिन्दी में प्राधिकृत पाठ और निरसन (अनुच्छेद 393 - 395)

ADV. ARJUN CHANDNA BLOGGER (दिनांक 26/11/22) 
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