पहरावणी में आये कपड़ो का कितने लोगों ने उपयोग किया? बताइये, पढ़े यह लेख- अर्जुन चांदना
#पहरावणी
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कोई बन्धु बतायेगा कि पहरावणी मे आये हुए पेन्ट-शर्ट कितने लोगों ने सिलवा कर पहनी है ?? मुश्किल से पांच प्रतिशत लोगो ने भी नहीं सिलवाई होगी। ऐसे ही इनमें से कितनी साड़ियां महिलायें पहनती है??*
*लेकिन यदि किसी कारणवश किसी रिश्तेदार के यहाँ से कपडे नहीं आये तो हम उसको उलाहना जरूर देंगे। उसकी बुराई जरूर करेंगे। भाईयों क्यों हम इस रूढिवादी परम्परा को ढ़ो रहे हैं??*
*ये कपडे एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं। कभी विचार किया कि इससे फायदा किसको हो रहा है ? सिर्फ दुकानदार को और हम सब बेवकूफ बने हुए हैं। साथ ही यह कपड़ों की भी बर्बादी है।*
*समाज में किसी भी कार्यक्रम मे रिश्तेदारों की तरफ से पहरावणी की जाती है, पहरावणी में बहन बेटी के साथ साथ परिवार के लोगों के लिए भी कपड़े लाये जाते है।*
*रिश्तेदारों के लिए लाये गये कपडे ज्यादातर किसी भी काम के नहीं होते जैसे साड़ी ₹100 से 150 , टॉवेल ₹10 से 20 एवं पेन्ट ₹ 200 से 250 रू के खरीदे गये होते हैं। ये कपड़े सिर्फ जगह रोकने के काम आते हैं एवँ इससे सिर्फ दुकानदारों की कमाई होती है और कपड़ों का अनादर होता है।*
*या तो हम इन लोगों को पहनने लायक ही कपड़े खरीदकर दें या फिर इन कपड़ो की जगह नकद ₹101, 201, 501आदि देने की प्रथा शुरू कर दें तो परिवार के लोगों का मान भी रह जायेगा और अनावश्यक खर्चा व कपड़ों की बर्बादी भी नहीं होगी। बहिन-बेटी को आर्थिक मदद भी मिलेगी।*
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