युग करने निर्माण जवानी जागा करती है...
युग का करने निर्माण जवानी जागा करती है....! करने को नित बलिदान, जवानी जागा करती है.....!!
सुख-वैभव के सपनों में जब जग सोता रहता है, पापों की गठरी को मानव जब ढोता रहता है......|
अरमानों को पूरा करने की खातिर जब मानव, पथ में विपदाओं के कांटे-से बोता रहता है.......||
तब करने को कल्याण, जवानी जागा करती है....! करने को नित बलिदान, जवानी जागा करती है......!!
जब धरती की मानवता का इतिहास बदलता है, मानव के उर का चिर संचित विश्वास बदलता है......|
जब एक-एक इंसान बदल जाता है धरती का, जब ब्रहमचर्य भी लेकर के संन्यास बदलता है......||
तब करने को उत्थान, जवानी जागा करती है.....! करने को नित बलिदान, जवानी जागा करती है.....!!
जब परिवर्तन हो जाता है, संसारी जीवन का, जब परिवर्तन हो जाता है, मानव के तन-मन का.....|
जब विकट रूप में, जीवन की यह स्वांसा चलती है, जब परिवर्तन हो जाता है जग के इस उपवन का.....||
तब बन करके वरदान, जवानी जागा करती है.....! करने को नित बलिदान, जवानी जागा करती है.......!!
जब कंस और रावण से अत्याचारी होते हैं, दुर्योधन, दुशासन जैसे व्याभिचारी होते हैं......|
अन्यायों से उत्पीडित जनता जब चिल्लाती है, शिशुपाल सरीखे उच्छ्रंखल अधिकारी होते हैं......||
तब बन करके भगवान्, जवानी जागा करती है....! करने को नित बलिदान, जवानी जागा करती है.......!!
जब गजनी के आक्रमणों का आतंक समाया हो, जब सोमनाथ के मंदिर ने सम्मान लुटाया हो......|
जब दुष्ट मुहम्मद गौरी से जयचंद मिलें जाकर, जब चिता जलाकर सतियों ने शमशान रचाया हो......||
तब बन करके चौहान, जवानी जागा करती है.....! करने को नित बलिदान, जवानी जागा करती है.......!!
सुख-वैभव के सपनों में जब जग सोता रहता है, पापों की गठरी को मानव जब ढोता रहता है......|
अरमानों को पूरा करने की खातिर जब मानव, पथ में विपदाओं के कांटे-से बोता रहता है.......||
तब करने को कल्याण, जवानी जागा करती है....! करने को नित बलिदान, जवानी जागा करती है......!!
जब धरती की मानवता का इतिहास बदलता है, मानव के उर का चिर संचित विश्वास बदलता है......|
जब एक-एक इंसान बदल जाता है धरती का, जब ब्रहमचर्य भी लेकर के संन्यास बदलता है......||
तब करने को उत्थान, जवानी जागा करती है.....! करने को नित बलिदान, जवानी जागा करती है.....!!
जब परिवर्तन हो जाता है, संसारी जीवन का, जब परिवर्तन हो जाता है, मानव के तन-मन का.....|
जब विकट रूप में, जीवन की यह स्वांसा चलती है, जब परिवर्तन हो जाता है जग के इस उपवन का.....||
तब बन करके वरदान, जवानी जागा करती है.....! करने को नित बलिदान, जवानी जागा करती है.......!!
जब कंस और रावण से अत्याचारी होते हैं, दुर्योधन, दुशासन जैसे व्याभिचारी होते हैं......|
अन्यायों से उत्पीडित जनता जब चिल्लाती है, शिशुपाल सरीखे उच्छ्रंखल अधिकारी होते हैं......||
तब बन करके भगवान्, जवानी जागा करती है....! करने को नित बलिदान, जवानी जागा करती है.......!!
जब गजनी के आक्रमणों का आतंक समाया हो, जब सोमनाथ के मंदिर ने सम्मान लुटाया हो......|
जब दुष्ट मुहम्मद गौरी से जयचंद मिलें जाकर, जब चिता जलाकर सतियों ने शमशान रचाया हो......||
तब बन करके चौहान, जवानी जागा करती है.....! करने को नित बलिदान, जवानी जागा करती है.......!!
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