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Showing posts from September, 2020

आज की युवा पीढ़ी की दिशा....✍️अर्जुन सिंह

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#आज_की_युवा_पीढ़ी किस #दिशा में जा रही है। ये सोचने वाली बात है।....हम जिस मार्ग से गुजर रहे हे या चल  रहे हे।...क्या यह भविष्य में सही कदम होगा। जरा सोचिए?? और #युवाओं_को_भी_लगता है कि लोग इन्हें देश, समाज से कटा हुआ ही समझते हैं ।...लोगों को लगता है कि युवाओं के सामने कोई लक्ष्य नहीं है...उसे सिर्फ अपने सुख-सुविधा का ही ध्यान है। या फिर क्षणिक आवेश में आ कर वह बहुत कुछ कर बैठते हैं । युवा समाज के प्रति कोई खास प्रतिबद्धता नहीं रखता या समय के साथ उसकी प्रतिबद्धता में जल्द ही बदलाव आ जाता है । वास्तविकता यह है कि यह समय उसके लिए काफी उथल-पुथल भरा होता है । सच्चा युवा कभी बने बनाए मार्ग से चलना ही नहीं चाहता । वह चाहे तब भी उस मार्ग पर नहीं चल सकता उसके भीतर छिपी ऊर्जा उसे वहाँ चलने ही नहीं देगी । चाहे उसे कितनी ही कठिनाइयों का सामना क्यों न करना पड़े । उसे जो कुछ ज्ञात होता है उसे वह अनुभव द्वारा ही समझना चाहता है । उसे दूसरे के अनुभव पसंद नहीं । आज एक ऐसे ही सच्चे युवा का जन्मदिन है । जिसने अपना मार्ग स्वयं चुना और उस मार्ग पर चलते हुए अपना बलिदान दे दिया । जिसने युवाओं को सर गर्व स...

साहिब....दिल्ही आने तक के पैसे नही है,कृपया पुरुस्कार डाक से भिजवा दो! ऐसे #हलधर_नाग

 साहिब....दिल्ही आने तक के पैसे नही है,कृपया पुरुस्कार डाक से भिजवा दो! ऐसे #हलधर_नाग            जिसके नाम के आगे कभी श्री नही लगाया गया, 3 जोड़ी कपड़े ,एक टूटी रबड़ की चप्पल  एक बिन कमानी का चश्मा और जमा पूंजी 732 रुपया का मालिक आज  पद्मश्री से उद्घोषित होता है। ये हैं ओड़िशा के हलधर नाग। जो कोसली भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं ख़ास बात यह है कि उन्होंने जो भी कविताएं और 20 महाकाव्य अभी तक लिखे हैं, वे उन्हें ज़ुबानी याद हैं। अब संभलपुर विश्वविद्यालय में उनके लेखन के एक संकलन ‘हलधर ग्रन्थावली-2’ को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। सादा लिबास, सफेद धोती, गमछा और बनियान पहने, नाग नंगे पैर ही रहते हैं। ऐसे हीरे को चैनलवालों ने नहीं, मोदी सरकार ने पद्मश्री के लिए खोज के  निकाला हलधर नाग :  उड़‍िया लोक-कवि हलधर नाग के बारे में जब आप जानेंगे तो प्रेरणा से ओतप्रोत हो जायेंगे। हलधर एक गरीब #दलित परिवार से आते हैं।10 साल की आयु में मां बाप के देहांत के बाद उन्‍होंने तीसरी कक्षा में ही पढ़ाई छोड़ दी थी। अनाथ की जिंदगी जीते हुये ढाबा में जूठे बर्तन साफ ...